
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष में हंसराज महाविद्यालय ने मातृभाषा में हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया जिसमें उन्होंने कई छात्रों से हस्ताक्षर करवाए, जैसा कि हम जानते हैं आजकल के वैश्वीकरण के जमाने में सिर्फ छात्र ही नहीं सभी को एक आदत हो चुकी है कि वह अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी में ही करते हैं परंतु उन्होंने छात्रों को यह मौका प्रदान किया कि वह अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करें।
पंजाबी, मलयाली, मराठी, गुजराती, तेलुगू , आदि जिस छात्र की जो मातृभाषा है उसमें आए और उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए, और जब छात्रों से पूछा गया कि उन्हें कैसा लगा अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करके, तो कई छात्रों ने कहा कि अपनी मातृभाषा से रुझान महसूस करना आजकल एक बहुत ही आम बात हो चुकी है , और आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में हम अपनी संस्कृति एवं अपनी मातृभाषा को पीछे छोड़ते जाते हैं, परंतु इस अभियान के दौरान उन्होंने स्वयं को देश, एवं मातृभाषा से जुड़ने का यह सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ, छात्रों ने यह कहा कि वह आगे से अपने मातृभाषा में हस्ताक्षर खुद भी करना पसंद करेंगे और अपने दोस्तों को, अपने परिवार को, इत्यादि सभी को प्रोत्साहन देंगे कि अपनी मातृभाषा का आदर करें एवं उसमें हस्ताक्षर जरूर करें, दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग सभी महाविद्यालयों में छात्र-छात्राएं दिल्ली के बाहर से या यूं कहें पूरे भारतवर्ष से शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, और अपने क्षेत्र एवं राज्य को अत्यधिक याद करते हैं, इस अभियान में कई छात्रों ने यह भी बताया कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में आने के बाद उन्हें एक बार फिर अपने क्षेत्र की भाषा में हस्ताक्षर करके वहां की समितियां याद आ गई।
हंसराज महाविद्यालय में पहल भले ही साधारण की हो परंतु छात्रों में इसका एक काफी और साधारण एवं सफल प्रभाव पड़ा जिससे कि उन्हें अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम एवं आदर की भावना भी महसूस हुई।












































































































































































































